नई दिल्ली :- 20 सूत्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत सन् 1970-1976 के अंतराल में हजारों लोगों को दिल्ली देहात के लगभग 150 गांवों के हजारों लोगों को आवासीय एवं कृषि योग्य जमीनें आबंटित की गयी थी। सरकारी विभाग की लापरवाही की वजह से कुछ आबंटियों को आज तक अनिश्चितता एवं कष्ट का जीवन-यापन करना पड़ रहा है। इन्हें ग्रामसभा की जमीन आबंटित की गयी थी। कुछ आबंटियों के मामले में गलती अधिकारियों के सतर पर यह हुई थी कि भूमि का वितरण निदेशक पंचायत के द्वारा नहीं किया गया था। दिल्ली लैंड रिफार्म ऐक्ट, 1954 के सेक्सन 73 और 74 के अनुसार ग्रामसभा को जमीन वितरित करने का अधिकार है। इसके अनुसार शेष आबंटियों को भूमिधारी का अधिकारी प्राप्त हो जाना चाहिए था, भले ही निदेशक पंचायत के माध्यम से न भी हुआ हो। दोनो परिस्थितियों में भूमिधारी का अधिकार इन्हें मिलना ही चाहिए। 2012 से राष्ट्रपति महोदय के अधीन मामला लंबित है।
नई दिल्ली जंतर-मंतर, पर हजारों की संख्या में गरीब, दलित, भूमिहीन लोगों ने अनुसूचित जाति/जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ एवं दिल्ली देहात दलित पिछड़ा जन कल्याण मंच के बैनर तले प्रदर्शन करते हुए मांग किया कि राष्ट्रपति महोदय के पास लंबित भूमिधारी का अधिकार देने के आदेश की संस्तुति अविलंब करें।
डॉ0 उदित राज, सांसद एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष, अनुसूचित जाति/जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, ने कहा कि लगभग 40 वर्षों से ये भूमिहीन भूमिधारी के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे थे। दिल्ली सरकार ने 21 मई, 2012 को यह प्रस्ताव पास कर दिया था कि इन्हें भूमिधारी का अधिकार दे दिया जाना चाहिए। उस प्रस्ताव को उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति महोदय को धारा 4 और नियम 50 के तहत भेजा। डॉ0 उदित राज ने माननीय गृहमंत्री, भारत सरकार को लिखा तो 15 मई, 2015 को वहां से भी जवाब आया कि मामले को शहरी विकास मंत्रालय को अवगत कराया जा रहा है। दिल्ली में 15 साल कांग्रेस की सरकार रही यदि उसमें इन गरीबों का भला करने की इच्छा होती तो समस्या का समाधान बहुत पहले हो गया होता। प्रदर्शन को दिल्ली देहात दलित पिछड़ा जन कल्याण मंच केे चेयरमैन – हरिद्वारी लाल, अध्यक्ष – सत्यनारायण एवं महासचिव – अशोक अहलावत ने भी सैकड़ों लोगों के साथ धरने का समर्थन किया और मांग किया कि राष्ट्रपति महोदय जल्दी ही अपनी संस्तुति दें।